तेरी हवाओं में
साँसे लिए हुए
कई दिन गये.. ऐ वतन।
तेरी बारिशों के
छींटे पिये हुए
कई दिन गये.. ऐ वतन।
तेरे आसमाँ तले
चाँद तके हुए
कई दिन गये…ऐ वतन।
तेरी तेज धूप में
बदन जले हुए
कई दिन गये.. ऐ वतन।
तेरी नर्म मिट्टी में
ज़ख़्म सने हुए
कई दिन गये.. ऐ वतन।
तेरी हर कमी पर
ताने कसे हुए
कई दिन गये.. ऐ वतन।
तेरी दोपहर में
सिमटे सोए हुए
कई दिन गये.. ऐ वतन।

ज़हन में है तू.. या तू ही मेरा ज़हन
हर याद में है तू.. ऐ महबूब वतन।